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चीन का दक्षिण प्रशांत रेशम मार्ग (हिंदी में) | Burning Issues | Free PDF Download

दक्षिण प्रशांत सिल्क मार्ग

मुख्य परीक्षा- पेपर-2-  द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते भारत और / या शामिल हैं जो भारत के हितों को प्रभावित करता है

ओशेनिया

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चीन दक्षिण प्रशांत तक विस्तार कर रहा है

भारत अकेले चीन के महत्वाकाषीं रेशम मार्ग से निपचने के लिए संघर्ष नही कर रहा है

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड महसूस कर रहे हैं कि चीन ने उनके दक्षिण प्रशांत मे लम्बे समय से फैले प्रभुत्व को समाप्त करना शुरू कर दिया है।

यदि भारत उपमहीद्वीप मे आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड को अपनी प्राथमिकता देता है तो भी एसा ही होगा

अतः अब तीनो अपनी आर्थिक और राजनैतिक शक्ति के सहारे चीन की परियोजनाओ से निपटने की तैयारी कर रहे है

चीन आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैण्ड के लिए कैसे खतरा है

बीजिंग ने भारत-प्रशांत क्षेत्र मे अपनी आर्थिक संलग्नता और सुरक्षा कूटनीति का विस्तार किया है

यह आस्ट्रेलिया के लिए चिन्ता का विषय है क्याकि चीन वानुआतु पर एक सैन्य सुविधा के लिए दबाव डाल रहा है

आस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व मे स्थित वानुआतु की आबादी मुशकिल से 250000 है लेकिन इसके 80 द्वीप इसको विशाल आर्थिक क्षेत्र प्रदान करते है

कैनबरा ने हाल ही में चीन के हुवेई द्वारा, ऑस्ट्रेलिया, सोलोमन द्वीप और पापुआ न्यू गिनी समूह के बीच समुद्र के नीचे इंटरनेट केबल की बोली लगाये जाने को विफल किया है

हालिया विकास

इस क्षेत्र के सम्भावित खतरो को पहचान कर केनबरा ने चीन के डिजिटल रेशम मार्ग परियोजना की पूरी लागत $100 मिलियन का वहन किया है

वेलिंगटन मे पिछले महीने जारी एक रक्षा नीति समीक्षा ने रेखांकित किया कि चीन की दक्षिण प्रशांत मे बढती आर्थिक और राजनैतिक नीतियाँ न्यूजीलैण्ड के क्षेत्रीय प्रभुत्व और सुरक्षा के लिए खतरा हैं

चीन की छवि

सारी समुद्री महान शक्तियां आगे के आधार की तलाश करती है। हार्न आफॅ अफ्रीका के जिबूती मे चीन का पहला सैन्य आधार है। यह निश्चित रूप से आखिरी नही होगा।

ऐसा नही है कि चीन ने अपने इरादे छुपाये थे।

चीन ने शताब्दी के अन्त मे सुदूर पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम मे अपनी परिधि को विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना का अनावरण किया था।

चीन के भीतर भारी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था फिर उन्हें सीमा पार पड़ोसी देशों में विस्तारित किया गया।

इसके तुरंत बाद, बीजिंग ने एक साहसिक नौसेना के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था के रूप मे उभरने की रणनीति का अनावरण किया।

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड चीन के साथ करने के लिए भागीदारी कर रहे है

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड दक्षिण प्रशांत मे स्थित द्वीपीय राष्ट के नेताओ के साथ व्यापक सुरक्षा समझौते पर नौरू मे सितम्बर मे एक शिखर सम्मेलन मे हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहे है।

कैनबरा और वेलिंगटन दक्षिण प्रशांत मे अपनी राष्ट्रीय निगरानी क्षमताओ का उन्नयन कर रहे है।

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भारत के लिए अवसर

भारत के संसाधन हमेशा सीमित रहेंगे लेकिन यह अपने साथी देशो जैसे- आस्ट्रेलिया, फ्रांस, इनडोनेशिया, जापान, नयूजीलैण्ड और अमेरिका के सहयोग के साथ वृद्धि कर सकता है। जिनमे सभी दक्षिण प्रशांत मे बडी हिस्सेदारी रखते हैं।

इन देशो के साथ व्यवहारिक सहयोग को बढावा देना दिल्ली के लिए क्वाड, इंडो-पेसिफिक और बी-आर-आई की चर्चाओ के मुकाबले अधिक उत्पादक हो सकता है।

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एपेक पापुआ न्यूगिनी 2018

एपेक पापुआ न्यूगिनी वर्ष 2018 के लिए एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग(एपीईसी) की बैठंको की मेजबानी कर रहा है।

यह पहली बार है कि पापुआ न्यूगिनी एपेक की बैठको की मेजबानी कर रहा है।

आस्ट्रेलिया मेजबान देश को लागत का एक-चौथाई प्रदान कर रहा है तथा साथ ही रसद और सुरक्षा के साथ भी मदद कर रहा है।

 

भारत प्रशांत द्वीपो के लिए सहयोग मंच

भारत प्रशांत द्वीपो के लिए सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) एक बहुपक्षीय समूह है जिसे 2014 मे भारत और 14 प्रशांत द्वीपो राष्ट्रो जिनमे शामिल हैं – कुक द्वीप, फिजी, किरिबाती, मारशल द्वीप, माइकरोनेशिया, नौरू, नीऊ, सामोआ, सोलोमन द्वीप, पलाऊ, पापुआ न्यूगिनी, टांगा, तुवालु और वानुआतु- के बीच सहयोग प्रदान करता है।

उपरोक्त राष्ट्रो के मुखिया या सरकार के मुखिया फिजी के सुवा मे 2014 मे पहली बार मिले थे जहाँ वार्षिक शिखर सम्मेलन अवधारणाबद्ध था।

भारत प्रशांत द्वीपो के लिए सहयोग मंच

प्रशांत नेताओ ने जलवायु परिवर्तन पर उनके संबधित प्रभावो पर अपनी चिंताओ को व्यक्त किया है। भारत ने भी पेरिस सम्मेलन (सीओपी-21) 2015 मे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की है तथा उचित उपाय उठाने के लिए आशवासन दिया है।

बदले मे सभी 14 राष्ट्रो/सरकार के प्रमुखो ने भारत का संयुक्त राष्ट्र परिषद मे स्थायी सदस्यता का समर्थन किय़ा है।

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