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जम्मू-कश्मीर मे हरित मुद्दे
प्रसंग
- जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में धारा 370 और 35ए पर लगातार बहस और चर्चाओं के अलावा, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो राजनीतिक नेताओं द्वारा अनसुना किए जाते हैं
पर्यायवरण पर प्रभाव
- हिमनदो का सिकुड़ना
- जल निकायो और जल धाराओ का सिकुड़ना
- डल और वुलर छोटी होती जा रही है
परेशानियाँ
- जल निकायों को सिकोड़ना
- खेत का रूपांतरण
- सिंधु जल पर मुद्दा
- पनबिजली पर मुद्दा
- कश्मीर में निराशा है
- ग्लेशियरों का घटना
- जागरुकता की कमी
- जम्मू और कश्मीर बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना करता है
- लोग इन विकास और पर्यावरण संबंधी मुद्दों को माध्यमिक के रूप में देखते हैं।
आगे की राह
पर्यायवरणीय स्थिरता
इसलिए राज्य के लुप्त हो रहे जल निकायों के मुद्दों पर, ग्लेशियरों को फिर से खोलने की आवश्यकता है
प्रभावी प्रशासनिक निवारण की कमी न केवल जम्मू और कश्मीर बल्कि पूरे क्षेत्र को भारी पड़ सकती है।