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चर्चा में क्यों?
- उत्तर प्रदेश के 15 गांवों को बिहार के पश्चिम चंपारण में शामिल करने की पहली प्रक्रिया पूरी हो गई है।
- साथ ही, पश्चिम चंपारण के सात गांवों को उत्तर प्रदेश में शामिल करने की भी शुरुआती बाधा समाप्त हो गई है।
- The first process of including 15 villages of Uttar Pradesh in West Champaran of Bihar has been completed.
- With this, the initial hurdle of including seven villages of West Champaran in Uttar Pradesh has also been removed.
- बगहा के गंडक पार के सात गांव भौगोलिक रूप से उत्तर प्रदेश से जुड़े हैं। यहां के ग्रामीणों को वहां से होकर आना-जाना पड़ता है।
- ठीक यही हाल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर व महाराजगंज जिले के गांवों का है।
- Seven villages across Gandak of Bagaha are geographically connected with Uttar Pradesh. The villagers here have to travel through there.
- The situation is exactly the same in the villages of Kushinagar and Maharajganj districts of Uttar Pradesh.
- यूपी के महाराजगंज के –
- कपरधिक्का, नरसिंहपुर, सोहगीबरवा, भोथहा, खुटहवा, वनसप्ती, शिकारपुर व बकुलहिया गांव
- Of Maharajganj of UP –
- Kapardhika, Narsinghpur, Sohgibarwa, Bhotha, Khuthwa, Vansapti, Shikarpur and Bakulhia villages
- कुशीनगर के –
- नारायणपुर, बकुलादह, हरिहरपुर, बसंतपुर, मरचहवा, शिवपुर व बालगोविंद छपरा गांव प्रशासनिक दृष्टिकोण से बिहार में शामिल किए जा सकते हैं।
- Of Kushinagar
- Narayanpur, Bakuladah, Hariharpur, Basantpur, Marchahwa, Shivpur and Balgovind Chhapra villages can be included in Bihar from administrative point of view.
- पश्चिम चंपारण के –
- बगहा अनुमंडल के सात गांव बैरी स्थान, मंझरिया, मझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा, भैसही और कतकी को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में शामिल किया जा सकता है।
- Of West Champaran
- Seven villages of Bagaha subdivision, Bairi Sthan, Manjharia, Majharia Khas, Shripatnagar, Nainaha, Bhaisahi and Katki can be included in Kushinagar district of Uttar Pradesh.
Article 3 (भारतीय संविधान)
- भारतीय संविधान के आर्टिकल 3 में राज्यों के निर्माण एवं पुनर्गठन के सम्बन्ध में प्रावधान दिए गए हैं.
- Provisions have been given in Article 3 of the Indian Constitution regarding the creation and reorganization of states.
- इनके अनुसार संसद कानून बनाकर निम्नांकित कार्य कर सकती है –
- नए राज्य का निर्माण
Creation of a new state
- किसी राज्य के क्षेत्र में विस्तार
Enlargement of the territory of a state
- किसी राज्य के क्षेत्र को घटाना
To reduce the area of a state
- किसी राज्य की सीमाओं को बदल देना
Change the boundaries of a state
- किसी राज्य के नाम में परिवर्तन
Change of name of a state
राज्यों के नाम, सीमा और क्षेत्र बदलने की प्रक्रिया
- किसी नए राज्य के निर्माण या वर्तमान राज्यों की सीमा में बदलाव के लिए संसद में विधेयक (Bill) तभी पेश किया जायेगा राष्ट्रपति इसके लिए सिफारिश करे.
- For the creation of a new state or change in the boundaries of existing states, a bill will be introduced in the Parliament only if the President recommends for it.
- जिस राज्य का नाम, सीमा, क्षेत्र (names/boundaries/area) बदला जाना है उस राज्य का विधानमंडल इस विषय में एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगा.
- The legislature of the state whose name, boundary, area (names/boundaries/area) is to be changed will send a proposal in this regard to the central government.
- इस प्रस्ताव पर राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य है. अनुमोदन के उपरान्त केंद्र सरकार उस प्रस्ताव को पुनः सम्बंधित राज्य/राज्यों के विधानमंडल को अपना विचार रखने एवं एक निश्चित समय के अन्दर उसे संसद में प्रस्तुत करने के लिए कहेगी.
- It is mandatory to get the approval of the President on this proposal. After approval, the central government will again ask the concerned state/states legislature to present its views and present it in the parliament within a stipulated time.
- राज्य विधानमंडल को विधेयक भेजने का प्रावधान दरअसल मूल संविधान में नहीं था बल्कि इस प्रक्रिया को “5 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1955” द्वारा संविधान में जोड़ा गया.
- The provision of sending the bill to the state legislature was not actually in the original constitution, but this process was added to the constitution by the “5th Constitutional Amendment Act, 1955”.
- राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए विधान मंडल द्वारा विधेयक को वापस संसद के पास भेजा जाता है. वैसे राष्ट्रपति अगर चाहे तो वह इस समय-सीमा को बढ़ा भी सकता है.
- Keeping in mind the time-limit set by the President, the bill is sent back to the Parliament by the Legislature. By the way, if the President wants, he can also extend this time limit.
- यदि विधान मंडल द्वारा निर्धारित समय के भीतर विधेयक संसद के पास नहीं भेजा जाता है तो राष्ट्रपति विधेयक को संसद में प्रस्तुत कर सकता है.
- If the bill is not sent to the Parliament within the time prescribed by the Legislature, the President can introduce the Bill to the Parliament.
- संसद विधान मंडल द्वारा भेजे गए विधेयक को मानने के लिए बाध्य नहीं है. यदि संसद चाहे तो साधारण बहुमत द्वारा राज्य के विधानमंडल की राय के विरुद्ध भी जा सकती है और कोई अन्य नाम का निर्धारण या राज्य के क्षेत्र को घटा-बढ़ा भी सकती है.
- Parliament is not bound to accept the bill sent by the legislature. If Parliament so desires, it can also go against the opinion of the State Legislature by a simple majority and can also fix any other name or increase or decrease the area of the State.
- इस मामले में भारत का संविधान अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के संविधान से काफी अलग है क्योंकि इन देशों में संघीय शासन अपनी इच्छा से अपने राज्यों के नाम या सीमाओं में परिवर्तन नहीं कर सकते.
- In this respect, the constitution of India is quite different from the constitution of America and Australia because the federal government in these countries cannot change the names or boundaries of their states at will.